यूजीसी: यूजीसी जल्द ही इसके लिए कमेटी बनाएगी। इसके बाद इसके क्रियान्वयन की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
यूजीसी: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) जल्द ही एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षण में डॉक्टरेट की आवश्यकता को समाप्त कर सकता है। यूजीसी की योजना इस दौरान नए पद सृजित करने की है, जहां विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए डॉक्टरेट की डिग्री अनिवार्य नहीं होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूजीसी अनुभव और संबंधित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने की अनुमति देगा। नए पदों पर इंटर्नशिप में प्रोफेसर और इंटर्नशिप में एसोसिएट प्रोफेसर के पद सृजित होंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान बोर्ड ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि नए स्थापित पद स्थायी होंगे या अस्थायी। यूजीसी जल्द ही इस नियम को बनाने के लिए एक कमेटी का गठन कर सकता है और इस संबंध में जल्द ही आधिकारिक घोषणा किए जाने की संभावना है।
हालांकि इस संबंध में यूजीसी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। यदि ऐसा होता है, तो इन उम्मीदवारों को विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का अवसर मिलेगा, जो इस विषय में जानकार हैं, लेकिन डॉक्टरेट की डिग्री नहीं रखते हैं।
यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार के अनुसार विशेष सेवाओं का सृजन करने का निर्णय लिया गया। इन पदों के लिए डॉक्टरेट की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
संघ के शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, दिसंबर 2021 में केंद्र द्वारा वित्त पोषित संस्थानों में 10,000 से अधिक शिक्षण पद खाली थे।