कासगंज सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता अरुण कुमार का कहना है कि गंगा के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है. कासगंज जिले में गंगा की सीमा 77 किमी में फैली हुई है। जिले में करीब 103 गांव गंगा के किनारे बसे हैं। बाढ़ के खतरे को देखते हुए निचले गांवों दतलाना उदेर न्योली, असदगढ़ नारदौली और समसपुर नारदौली में गंगा तट पर बनी 5 प्राचीर की मरम्मत की गई है, जबकि बाढ़ नियंत्रण कक्ष के साथ 4 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं. . बाढ़ कक्ष में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को तीन शिफ्ट में ड्यूटी पर लगाया गया है. मंगलवार 12 जुलाई को हरिद्वार बैरियर से 58 हजार क्यूसेक, बिजनौर बैरियर से 29 हजार और नरोरा बैरियर से 43 हजार क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया. मंगलवार को कछला घाट पर गंगा का जलस्तर 163,000 दर्ज किया गया।
कासगंज की जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए आबादी वाले इलाकों के पास गंगा किनारे बने तटबंधों पर लगातार नजर रखी जा रही है. बाढ़ नियंत्रण कक्ष एवं बाढ़ चौकी की स्थापना के साथ ही स्थानीय तहसील प्रशासन एवं खाद्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, जल कंपनी एवं वानिकी विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश दिये गये हैं. 24 घंटे सतर्क रहने के लिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के कादरगंज गंगाघाट में गंगा में जल स्तर मापने के लिए फिलहाल कोई माप चिह्न नहीं है, इसलिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) को पत्र लिखकर माप चिह्न प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
रिपोर्ट – अमित तिवारी